Saturday, 4 February 2017

বঞ্চিত সমাজের জন্য পি. আর. ঠাকুরের এই অধিকারের লড়াই বৃথা যায়নি।কপিল কৃষ্ণ ঠাকুর

পি. আর. ঠাকুর (২)
কপিল কৃষ্ণ ঠাকুর
২৯ আগস্ট ১৯৪৭ তারিখে বাবাসাহেব ড. আম্বেদকরকে সভাপতি রেখে সংবিধান ড্রাফ্টিং কমিটি ঘোষিত হয়। এর আগের ৯মাসকে বলা যায় সংবিধানের নীতি নির্ধারণ তথা দিশা ঠিক করার পর্ব। নানাবিধ সাব কমিটি গঠিত হয়েছিল এ সময়, যাদের কাজ ছিল বিভিন্ন বিষয়ে প্রস্তাব বা পরামর্শ দান করা।
২১ ডিসেম্বর ১৯৪৬ তারিখে Constituent Assembly Negotiating Committiee গড়ার জন্য ৬জনকে দায়িত্ব দেবার প্রস্তাব পেশ হয়, এঁরা হলেন—1 আবুল কালাম আজাদ 2.পণ্ডিত জহরলাল নেহেরু 3.সর্দার বল্লভভাই প্যাটেল 4.ড. বি. পট্টভি সীতারামাইয়া 5.শংকররাও দেও এবং 6.স্যার এন, গোপালস্বামী আয়েঙ্গার। এই কমিটির হাতে বিভিন্ন রাজ্য থেকে Negotiating কমিটিতে কারা এবং ক’জন নির্বাচিত হবেন সে ক্ষমতা দেওয়া হয়েছিল। প্রস্তাবটিতে একটি সংশোধনী দাবি করেন পি. আর. ঠাকুর। তিনি বলেন—“ Sir, I want to move an amendment that after the name of the Hon’ble Sir N Gopalswami Ayyanger, the name of one of the depressed class member of the House be added…..” এই সংশোধনী ঘিরে বিতর্ক শুরু হয়। বিহারের আদিবাসী সমাজের লড়াকু নেতা জয়পাল সিং একজন আদিবাসী সদস্য রাখার প্রস্তাব দেন।V.I. Munniswami Pillai পি. আর. ঠাকুরের সমর্থনে এগিয়ে আসেন। বোম্বের B.G Kher প্রমুখ বিরোধিতা করেন।শেষে স্বয়ং নেহেরু হাল ধরেন। তিনি আশ্বস্ত করেন এই বলে যে, তপশিলিদের প্রতি অবিচার করা হবে না। ঠাকুরকে তিনি সংশোধনী প্রত্যাহার করতে অনুরোধ করেন।
ক্ষুব্ধ পি.আর.ঠাকুর আসন ছেড়ে Rostram-এ চলে আসেন এবং ঘোষণা করেন: “In view of the statement made by the Hon’ble Pandit Jahar Lal Neheru, I want to withdraw the amendment that I have moved. But I want to mention..(Voices- ‘No, no.’) one thing only (several member –No, no’). I want this assurance that at least five out of the 93 seats will be given to the Depressed Classes.”
বঞ্চিত সমাজের জন্য পি. আর. ঠাকুরের এই অধিকারের লড়াই বৃথা যায়নি। কমিটিতে তপশিলিদের পাঁচের অধিক প্রতিনিধির স্থান হয়েছিল। এরপর ২৪/১/৪৭ তারিখে একটি Advisory Committee গঠিত হয় সংসদ এবং সংসদের বাইরের বিশিষ্ট ব্যক্তিদের নিয়ে।যাঁরা গুরুত্বপূর্ণ মতামত এবং পরামর্শ দান করবেন। এই কমিটির হাতে ছিল সাব-কমিটি গঠনের ক্ষমতাও। এছাড়া নাগরিকদের অধিকার, সংখ্যালঘু এবং আদিবাসীদের অধিকার এবং মৌলিক অধিকার(Fundamental rights) ছিল এই কমিটির বিবেচনার ক্ষেত্র। স্মরণে রাখা দরকার, সংখ্যালঘু হিসেবে তখন তপশিলিদেরও গণ্য করা হতো। ৭২ জনের এই Advisory Committee-তে তপশিলি সমাজের প্রতিনিধি হিসেবে নির্বাচিত হন-- 1.Sardar Prithvi Singh Azad 2.Dharam Prakash 3.H.J. Khandelkar 4.Jagjiban Ram 5.P.R. Thakur 6.Dr. B.R. Ambedkar 7.V.I. Munniswami Pillai. বাংলা থেকে গুরুত্বপূর্ণ এই কমিটিতে স্থান হয়েছিল গণ-পরিষদের সদস্য ড.প্রফুল্লচন্দ্র ঘোষ, ড.শ্যামাপ্রসাদ মুখার্জী, সুরেন্দ্রমোহন ঘোষ এবং ড.এইচ. সি. মুখার্জীর।
पी. और । टैगोर (2)
29 अगस्त 1947 को । डा. बाबा साहेब के राष्ट्रपति राष्ट्रपति के अवसर के अवसर पर । यह एक निवेदन है 9 महीने पहले । यह संविधान और मौजूदा नीति को सही करने के लिए कहा जा सकता है. इस समय विभिन्न उप समिति के एपिसोड में बनाई गई, जो अलग-अलग काम कर रहे थे या सलाह देते हैं ।
21 दिसंबर 1946 को 6 दिसंबर 1946 को 6 से 6 से 6 में 6 से 6 लोग कलाम नेहरू संविधान 2. पंडित नेहरू 3. सरदार संविधान भाई भाई भाई. 4. डा. बी. बी. बी. बी. शुभ वे देव देव और 6. सर, गोपाल स्वामी आय अयंगार । इस समिति में अलग-अलग राज्य में बातचीत करने वाले समिति के हाथ में है जो कि उन्हें शक्ति प्रदान की जा रही है. Prastābaṭitē का दावा है, एक संशोधन है, पी. और । ठाकुर । उसने कहा -" सर, मैं एक संशोधन करने के बाद एक संशोधन करने के बाद सर के नाम से खिसकाएँ के नाम से एक संशोधन के नाम से एक संशोधन जोड़ा के नाम से जोड़ा है....." इस संशोधन के आस-पास बहस शुरू करने के लिए. है । बिहार । आदिवासी समाज का समाज नेता जय सिंह एक पिल्लै पिल्लै पिल्लै पिल्लै पिल्लै पी. और । रवीन्द्रनाथ में टैगोर के समर्थन में आये । बंबई बी. जी खेर उसके चेहरे का विरोध करते हुए । आत्म नेहरू के अंत में प्रकाश के लिए । उसने कहा, " यह तुम्हारे लिए है कि उनपर कोई ज़ुल्म न होगा टैगोर संशोधन को वापसी से अनुरोध करने के लिए.
Kṣubdha pi । Āra. Ṭhākura āsana----:::: के दृश्य में ' ' माननीय पंडित जाहर लाल neheru द्वारा बनाया गया है, मुझे संशोधन करना चाहते हैं कि मैंने संशोधन कर लिया है । लेकिन मैं उल्लेख करना चाहता हूँ.. (आवाज-कोई नहीं, कोई भी नहीं है, कोई भी ' ' नहीं, मैं इस आश्वासन से कम से कम 93 सीटों से 93 सीटें होगी. उदास वर्ग."
समाज के के लिए p. और । इस लड़ाई में रवीन्द्रनाथ का अधिकार व्यर्थ हो सकता है । 24/1/47 वें प्रतिनिधियों के अवसर पर 24/1/47 वें प्रतिनिधियों का स्थान 24/1/47 वें स्थान पर थे. तब संसद में एक सलाहकार समिति का गठन किया गया था और उस व्यक्ति की संसद में सबसे महत्वपूर्ण है. अपनी राय और सलाह के अवसर पर आप लोगों के लिए धन्यवाद । यह उप-समिति का गठन और नागरिक के हाथ में था. इसके अलावा, अल्पसंख्यक अधिकारों और मूल अधिकारों और मूल अधिकारों का मूल अधिकार है । इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक की आवश्यकता है, जैसे कि भारत के एक प्रतिनिधि के रूप में. 72 सरदार पृथ्वी के रूप में एक सलाहकार समिति. 1. सरदार पृथ्वी singh आजाद 2. धरम प्रकाश 3. H.j. jagjiban khandelkar 4. राम 5. व्याख्याताओं ठाकुर 6. डॉ भीमराव अम्बेडकर 7. v.i. पिल्लै पिल्लै. इस समिति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सभा सदस्य डॉ. श्याम चन्द्र घोष, डॉ. मुखर्जी मुखर्जी, धुन घोष और डॉ. सी. मुखर्जी.