शांति के लिए दुनियां की महिलाएं एक हों
गाँधी जयंती पर भारत सहित 26 देशों की महिलाओं ने लिया संकल्प
गाँधी जयंती पर भारत सहित 26 देशों की महिलाओं ने लिया संकल्प
जलगांव। आज देश और दुनियां में जहाॅ हिंसा का बोलवाला है और मुल्क और मुल्क के बीच शासकों मे होड़ है ऐसे में देश के जलगांव स्थित गांधी तीर्थ में विष्व अहिंसा दिवस पर महात्मा गांधी से प्रेरणा लेते हुए दुनिया भर की संघर्षषील महिलाओं ने एकजूट होकर शांतिपूर्ण समाज बनाने का संकल्प लिया।इन महिलाओं शांति और अहिंसा केे लिए वैष्विक एकजूटता दिखाने के लिए अपने- अपने मुल्क की मिट्टी वयोबृद्ध गांधीवादी नेता कृष्णम्माल जगन्नाथम् को सौंपी। साथ ही विभिन्न देषों में शांति कायम करने की कोषिष करनेवाली महिलाओं ने देल की पचास से अधिक संर्घषशील महिलाओं को उनके कार्यो के लिए सम्मानित किया। अगले सप्ताह नई दिल्ली में इरोम शर्मिला को भी सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मेलन के बाद विभिन्न देषों से आयी शांति महिला कार्यकर्ता मध्य प्रदेष के उन इलाकों का दौरा करेंगी जहां एकता परिषद ने अहिंसात्मक तरीके से कामयावी हासिल की है।
गांधी जयंती के मौके पर मौजूद हजारों महिलाओं की सभा को संबोधित करते हुए कृष्णम्मा जगन्नाथम् ने कहा कि महिलाएं क्या नहीं कर सकती हैं। उन्होंने पष्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता वनर्जी का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में न्याय के लिए सिंगुर में लोगों ने धनवलियों और को धूल चटा दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास उनकी आंतरिक शक्ति इतनी है कि अगर वह वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती हैं।
तीन दिनों के इस महिला महसम्मेलन के मकसद को उजागर करते हुए आईजीआईएनपी की निदेषक जिल कार हैरिस ने कहा कि आज की दुनिया कई गंभीर समस्याओं से जुझ रही है। ना सिर्फ हम अपने देष में बल्कि दो राष्ट्रों के बीच के युद्ध और अपना जड़ जमा चुके विवादों को भी देख रहे हैं जिसके मूल में असमानता और गरीबी छिपी हुई है। यहां भी कई प्रकार के विवाद हैं। इन संकटों का सामना करने के लिए विष्वभर की महिलाओ को अलग विचार के साथ वैष्विक रूप से साथ मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। मतभेद होना नई बात नहीं परन्तु हिंसा होना आम बात हो गई है। इसके जड़ में आर्थिक वृद्धि राष्ट्रीय विकास का मीडिया द्वारा अलग ढ़ंग से विवेचना करना भी है। संरचनात्मक हिंसा से मात्र कुछ लोगों के हित के लिए बहुत सारे लोगों को नुकसान पहुंचता है। हमें इस संरचनात्मक हिंसा को कम करने के उपाय ढ़ुंढ़ने होंगे ताकि वैष्विक स्तर पर युद्ध और विवाद की संभावना को कम किया जा सके।
जग जाए तो
वरिष्ठ गांधीवादी चंद्रषेखर धर्माधिकारी दुनिया भर की महिलाओं से स्वतंत्रता के लिए हिम्मत दिखाने की अपील करते हुए कहा कि वे सुरक्षा के लिए किसी की मोहताज न बने। उन्होेंनों गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आज सबसे अधिक अत्याचार आदिवासी महिलाओं पर होता है क्योंकि उनकी कोई पहचान नहीं है।जबकि वे गैरआदिवासी और सम्य कही जानेवाली महिलााओं की तरह गुलाम नहीं हैं। इस मौके पर अनुभूति की निदेषक निषा जैन, आषा रमेष, प्रतिभा षिंदे, विभा गुप्ता, श्रद्धा कष्यप, यमुना वाई बसावा, चिरौंजी बाई, सुधा रेड्डी, मारग्रेट हुगेंटोबलर, बेटराइज कैनेडा, अइडा गैमवो, इर्रेेने सेेंटेगा, हदिर मंैनचेस्टर ने संबोधित किया।
इंटरनेषनल गांधीयन इनिसिएटिव फॅार ननभायलेंस एंड पीस, एकता फाउंडेषन ट्र्स्ट और गांधी रिर्षच फाउंडेषन की ओर से आयोजित इस महिला महासम्मेलन के उद्घाटन सत्र का समापन प्रख्यात गांधाीवाादी नेता राजगोपाल पी.वी के जयजगत गान से हुआ।
इस मौके पर विभिन्न प्रदेषों के आदिवासी समूहों ने लोकनृत्य पेषकर उद्घाटन सत्र को जीवंत बना दिया दिया। Photographs byVinod & Saurabh
गांधी जयंती के मौके पर मौजूद हजारों महिलाओं की सभा को संबोधित करते हुए कृष्णम्मा जगन्नाथम् ने कहा कि महिलाएं क्या नहीं कर सकती हैं। उन्होंने पष्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता वनर्जी का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में न्याय के लिए सिंगुर में लोगों ने धनवलियों और को धूल चटा दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पास उनकी आंतरिक शक्ति इतनी है कि अगर वह वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती हैं।
तीन दिनों के इस महिला महसम्मेलन के मकसद को उजागर करते हुए आईजीआईएनपी की निदेषक जिल कार हैरिस ने कहा कि आज की दुनिया कई गंभीर समस्याओं से जुझ रही है। ना सिर्फ हम अपने देष में बल्कि दो राष्ट्रों के बीच के युद्ध और अपना जड़ जमा चुके विवादों को भी देख रहे हैं जिसके मूल में असमानता और गरीबी छिपी हुई है। यहां भी कई प्रकार के विवाद हैं। इन संकटों का सामना करने के लिए विष्वभर की महिलाओ को अलग विचार के साथ वैष्विक रूप से साथ मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। मतभेद होना नई बात नहीं परन्तु हिंसा होना आम बात हो गई है। इसके जड़ में आर्थिक वृद्धि राष्ट्रीय विकास का मीडिया द्वारा अलग ढ़ंग से विवेचना करना भी है। संरचनात्मक हिंसा से मात्र कुछ लोगों के हित के लिए बहुत सारे लोगों को नुकसान पहुंचता है। हमें इस संरचनात्मक हिंसा को कम करने के उपाय ढ़ुंढ़ने होंगे ताकि वैष्विक स्तर पर युद्ध और विवाद की संभावना को कम किया जा सके।
जग जाए तो
वरिष्ठ गांधीवादी चंद्रषेखर धर्माधिकारी दुनिया भर की महिलाओं से स्वतंत्रता के लिए हिम्मत दिखाने की अपील करते हुए कहा कि वे सुरक्षा के लिए किसी की मोहताज न बने। उन्होेंनों गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आज सबसे अधिक अत्याचार आदिवासी महिलाओं पर होता है क्योंकि उनकी कोई पहचान नहीं है।जबकि वे गैरआदिवासी और सम्य कही जानेवाली महिलााओं की तरह गुलाम नहीं हैं। इस मौके पर अनुभूति की निदेषक निषा जैन, आषा रमेष, प्रतिभा षिंदे, विभा गुप्ता, श्रद्धा कष्यप, यमुना वाई बसावा, चिरौंजी बाई, सुधा रेड्डी, मारग्रेट हुगेंटोबलर, बेटराइज कैनेडा, अइडा गैमवो, इर्रेेने सेेंटेगा, हदिर मंैनचेस्टर ने संबोधित किया।
इंटरनेषनल गांधीयन इनिसिएटिव फॅार ननभायलेंस एंड पीस, एकता फाउंडेषन ट्र्स्ट और गांधी रिर्षच फाउंडेषन की ओर से आयोजित इस महिला महासम्मेलन के उद्घाटन सत्र का समापन प्रख्यात गांधाीवाादी नेता राजगोपाल पी.वी के जयजगत गान से हुआ।
इस मौके पर विभिन्न प्रदेषों के आदिवासी समूहों ने लोकनृत्य पेषकर उद्घाटन सत्र को जीवंत बना दिया दिया। Photographs byVinod & Saurabh
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