Saturday, 27 August 2016

अस्पतालों में जिंदगी से खिलवाड़ आमरी अग्निकांड के हादसे के बाद भी कोलकाता के तमाम बड़े अस्पतालों के पास फायर लाइसेंस नहीं हैं। देश के बाकी राज्यों और महानगरों के अस्पतालों में तहकीकात की जाये तो पता चल सकता है कि चिकित्सा के नाम पर जुतगृह के इस भारत व्यापी नेटवर्क में मरीजों और डाक्टरों को जिंदा जलाने का महोत्सव है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप संवाददाता

अस्पतालों में जिंदगी से खिलवाड़
आमरी अग्निकांड के हादसे के बाद भी कोलकाता के तमाम बड़े अस्पतालों के पास फायर लाइसेंस नहीं हैं।


देश के बाकी राज्यों और महानगरों के अस्पतालों में तहकीकात की जाये तो पता चल सकता है कि चिकित्सा के नाम पर जुतगृह के इस भारत व्यापी नेटवर्क में मरीजों और डाक्टरों को जिंदा जलाने का महोत्सव है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप संवाददाता

कोलकाता।अस्पतालों और निजी चिकित्सा संस्थानों के नानाविध गोरखधंधे अक्सर बेपर्दा होते रहते हैं।इस सिलसिले  में पुराने किस्सों को हम दोहरा नहीं रहे हैं लेकिन मुर्शिदाबाद के सरकारी अस्पताल में ताजा अग्निकांड में मरीजों की मौत ने फिर कोलकाता में आमरी अस्पताल की याद ताजा कर दी है।गौरतलब है कि  मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आज आग लग जाने के बाद मची भगदड़ में दो महिलाओं और एक बच्ची की मौत हो गयी और सात अन्य घायल हो गये। जिससे मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच दहशत फैल गयी। मृत दोनों महिलाएं नर्सें हैं।

मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर स्थित मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को भयावह आग लग जाने से दो नर्सिंग सहायक और एक नवजात शिशु की मौत हो गयी। हालांकि शिशु की मौत आग की वजह से होने के संबंध में संशय बना हुआ है।
गौरतलब है कि खास कोलकाता में आमरी अस्पताल में आग से 92 लोगों की मौत हुई थी।

इस अग्निकांड के बाद तहकीकात से यह खुलासा हो गया है कि निजी अस्पतालों में और हेल्थ हब में कानून ताक पर रखने का जो नेटवर्क है,उससे कहीं ज्यादा हैरतअंगेज कोलकाता और जिला शहरों के अस्पतालों में मरीजों और डाक्टरों की सुरक्षा में लापरवाही का आलम है।

जाहिर है कि केंद्र या राज्य सरकार अस्पतालों की सेहत सुधारने के लिए कोई बड़ा कदम उठाने के बजाये दुर्घटनाओं को सिरे से रफा दफा करने का शार्ट कट ही अपनाती हैं और इसके नतीजे इतने खतरनाक हैं कि आमरी अग्निकांड के हादसे के बाद भी कोलकाता के तमाम बड़े अस्पतालों के पास फायर लाइसेंस नहीं हैं।

गौरतलब है कि है कि वर्ष 2010-11 में मुर्शिदाबाद अस्पताल को तुरत फुरत  मेडिकल कॉलेज का रूप दिया गया था। यहां निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। इसी हफ्ते बर्दवान जिले के कटवा में स्थित सबडिवीजनल अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में आग लग गयी थी। गौरतलब है कि वर्ष 2011 में कोलकाता के ढाकुरिया स्थित आमरी अस्पताल में आग लगने से 92 लोगों की मौत हो गयी थी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल ने मौके का मुयायना किया और इसके बाद जांच टीम की मुखिया चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस अग्निंकांड के पीछे गहरी साजिश होने का आरोप लगाया है।



कोलकाता के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों पीजी अस्पताल से लेकर मेडिकल कालेज तक में अग्निकांड से निपटने की कोई व्यवस्था है ही नहीं है और न इन बड़े सरकारी अस्पतालों के पास कानूनी तौर पर अनिवार्य फायर लाइसेंस हासिल हैं।

देश के बाकी राज्यों और महानगरों के अस्पतालों में तहकीकात की जाये तो पता चल सकता है कि चिकित्सा के नाम पर जुतगृह के इस भारत व्यापी नेटवर्क में मरीजों और डाक्टरों को जिंदा जलाने का महोत्सव है।

गौरतलब है कि भारत में आपदा प्रबंधन की कोई संरचना अभी बनी ही नहीं है और बाढ़, भूस्खलन भुखमरी,सूखा ,भूकंप हर साल आम नागरिकों के रोजमर्रे की जिंदगी को कयामत में तब्दील कर देती है।राहत सहायत की रस्म अदायगी के बाध फिर अगले साल के दुर्गा पूजा और गणेशोत्सव या ईद की तरह हम आपदाओं का इंतजार करते हैं।

भारतभर में शहरीकरण की अंधी दौड़ में महानगरों से लेकर जिला शहरों में बेदखली का सबसे चामत्कारिक फंडा अग्नकांड है।दिल्ली, मुंबई ,कोलकाता,चेननई की बस्तियों में हर साल होने वाले अग्निकांड का सच यही है।

साजिश की थ्योरी के मद्देनजर रफा दपा हो रहे इस मामले में दहशतजदा आम जनता का अस्पताली रोजनामचे पर गौर करें।शनिवार सुबह 11.50 बजे के करीब अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित मेडिसिन विभाग में आग लगने से अस्पताल में अफरातफरी फैल गयी। देखते ही देखते आग, नवजात शिशुओं के वार्ड और एमआरआइ विभाग में फैल गयी। दहशत में आये रोगी खिड़की तोड़कर नीचे छलांग लगाने लगे। भारी अफरातफरी में मरीज स्लाइन की बोतल हाथों में लेकर भागने लगे। स्थानीय लोगों ने पहले बचाव कार्य में हाथ बंटाया।

महिलाओं और उनके नवजात बच्चों को उतारा गया। अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर सुभाशीष साहा ने बताया कि अब तक मिली जानकारी के मुताबिक आग से दो महिलाओं की मौत हुई है। दोनों नर्सिंग सहायक थीं। जानकारी के मुताबिक धुएं की वजह से उनकी मौत हुई है। एक नवजात शिशु की भी मौत हुई है। लेकिन उसकी मौत के पीछे आग ही वजह थी, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। धुएं की वजह से 18 अन्य लोग बीमार हो गये हैं। साहा ने कहा कि दहशत की वजह से स्थिति ज्यादा गंभीर हो गयी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आग की सीआईडी जांच का आदेश दिया है। राज्य सचिवालय नबान्न से जारी एक विग्यप्ति में आज बताया गया, सीआईडी से घटना में साजिश की संभावना पर गौर करने को कहा गया है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस साहा ने कहा, 'अस्पताल में आग लग गयी। जिसमें दो लोगों के मरने की खबर है। आग पर काबू पा लिया गया है। घबड़ाने की कोई जरूरत नहीं है।' उन्होंने कहा कि आग लगने का कारण एसी यूनिट थी। आग लगने के तुरंत बाद मरीजों को अस्पताल में आते देखा गया जबकि कुछ बच्चों को अस्पताल के वार्ड से बाहर लाया गया।




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